लगान lagaan

मितवा सुन मितवा तुझ को क्या डर है रे

हर सन्त कहे हर साधु कहे
सच और साहस है जिस के मन में
अन्त में जीत उसी की है

आजा रे आजा रे
भले कितने लम्बे हों रास्ते, हो
थके न तेरा ये तन, हो
आजा रे आजा रे
सुन ले पुकारे डगरिया
रहे न रास्ते तरसते, हो
तू आजा रे
इस धरती का है राजा तू, ये बात जान ले तू
कठिनाई से टकरा जा तू, नहीं हार मान ले तू

मितवा सुन मितवा, तुझ को क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अम्बर है रे
ओ मितवा सुन मितवा तुझ को क्या डर है रे
ये धरती अपनी है, अपना अम्बर है रे
तू आजा रे ...

अ: सुन लो रे मितवा
जो है तुम्हरे मन में, वो ही हमरे मन में
जो सपना है तुम्हरा, सपना वो ही हमरा है
जीवन में
उ: हाँ, चले हम लिये आसा के दिये नयनन में
दिये हमरी आसाओं के कभी बुझ न पायें
अ: कभी आँधियाँ जो आ के इन को बुझायें
उ: मितवा सुन मितवा, तुझ को क्या डर है रे ...

उ: सुन लो मितवा
पुरवा भी गायेगी, मस्ती भी छायेगी
मिल के पुकारो तो, फूलों वाली जो रुत है
आयेगी
अ: हाँ, सुख भरे दिन दुःख के बिन लायेगी
हम तुम सजायें आओ सपनों के मेले
उ: रहते हो काहे बोलो, तुम यूँ अकेले
मितवा सुन मितवा, तुझ को क्या डर है रे ...

हर सन्त कहे हर साधु कहे
सच और साहस है जिस के मन में
अन्त में जीत उसी की है

ओ मितवा, सुन मितवा ...
मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले
कभी मुस्काये, कभी छेड़े कभी बात करे
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले
आग तन में लगे
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले

मधुबन में भले कान्हा किसी गोपी से मिले
मन में तो राधा के ही प्रेम के हैं फूल खिले
किस लिये राधा जले, किस लिये राधा जले
बिना सोचे समझे
किस लिये राधा जले, किस लिये राधा जले

गोपियाँ तारे हैं चान्द है राधा
फिर क्यों है उस को विषवास आधा
कान्हा जी का जो सदा इधर उधर ध्यान रहे
गोपियाँ आनी-जानी हैं
राधा तो मन की रानी है
साँझ सखारे, जमुना किनारे
राधा राधा ही कान्हा पुकारे
बाहों के हार जो डाले कोई कान्हा के गले
राधा कैसे न जले ...

मन में है राधे को कान्हा जो बसाये
तो कान्हा काहे को उसे न बसाये
प्रेम की अपनी अलग बोली अलग भाषा है
बात नैनों से हो, कान्हा की यही आशा है
कान्हा के ये जो नैना नैना हैं
छीनें गोपियों के चैना हैं
मिली नजरिया हुई बाँवरिया
गोरी गोरी सी कोई गुजरिया
कान्हा का प्यार किसी गोपी के मन में जो पले
किस लिये राधा जले, राधा जले, राधा जले
रधा कैसे न जले

बार-बार हाँ बोलो यार हाँ अपनी जीत हो उन की हार हाँ
कोई हम से जीत ना पावे चले चलो चले चलो

मिट जावे जो टकरावे चले चलो भले घोर अंधेरा छावे चले चलो चले चलो
कोई राह में ना थम जावे चले चलो टूट गई जो उँगली उट्ठी
पाँचों मिलीं तो बन गई मुट्ठी एका बढ़ाता ही जावे चले चलो चले चलो

कोई कितना भी बहकावे चले चलो कोई ना अब रोके तुझे टोके तुझे टोड़ दे बंधन सारे
मिला है क्या हो के तुझे निर्बल तू ही बता
कभी ना दुख झेलेंगे खेलेंगे ऐसे के दुश्मन हारे कि अब तो ले लेंगे हिम्मत का रस्ता
धरती हिला देंगे सबको दिखा देंगे राजा है क्या परजा है क्या हो
हम जग पे छायेंगे अब ये बतायेंगे हम लोगों का दरजा है क्या हो
अब डर नहीं मन में आवे चले चलो, चले चलो

हर बेड़ी अब खुल जावे चले चलो चला ही चल हाँफ़ नहीं काँप नहीं राह में अब तू राही
थकन का साँप नहीं अब तुझे डँसने पाये
वो ही जो तेरा हाक़िम है ज़ालिम है की है जिसने तबाही
घर उस का पच्छिम है यहाँ ना बसने पाये धरती हिला देंगे सबको दिखा देंगे
हम लोगों का दरजा है क्या हो जो होना है हो जावे चले चलो
अब सर ना कोई झुकावे चले चलो