आशिक़ी Aashiqui

साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िंदगी के लिये -2
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये

जाम की ज़रूरत है जैसे बेखुदी के लिये
हाँ एक सनम चाहिये, आशिक़ी के लिये
बस एक सनम चाहिये||

वक़्त के हाथों में सबकी तक़दीरें हैं
आईना झूठा है सच्ची तसवीरें हैं
जहाँ दर्द है वहीं गीत है जहाँ प्यास है वहीं मीत है
कोई ना जाने मगर जीने की यही रीत है
साज़ की ज़रूरत है जैसे मौसिक़ी के लिये
बस एक सनम चाहिये||

मंज़िलें हासिल हैं फिर भी एक दूरी है
बिना हमराही के ज़िंदगी अधूरी है
मिलेगी कहीं कोई रहगुज़र तन्हा कटेगा कैसे ये सफ़र
मेरे सपने हो जहाँ ढून्ढूँ मैं ऐसी नज़र
चांद की ज़रूरत है जैसे चांदनी के लिये
बस एक सनम चाहिये||
अब तेरे बिन जी लेंगे हम ज़हर ज़िन्दगी का पी लेंगे हम
क्या हुआ जो एक दिल टूट गया -2

तेरी आशिक़ी भी ये क्या रंग लाई वफ़ा मैने की तूने की बेवफ़ाई
मेरी भूल थी मैं ये क्या चाहता था किसी बेवफ़ा से वफ़ा चाहता था
तू जाने क्या बेक़रारी बेदर्द, बेमुरव्वत
जा संगदिल हसीना देखी तेरी मुहब्बत
अब मैने जाना तुझको बेरहम अब तेरे बिन जी लेंगे हम
ज़हर ज़िन्दगी का पी लेंगे हम

सनम तोड़ देता मुहब्बत के वादे अगर जान जाता मैं तेरे इरादे
किसे मैंने चाहा कहाँ दिल लगाया
मैं नादान था कुछ समझ ही न पाया
मेरे आँसुओं के मोती आँखों से बहता पानी
मेरे टूटे दिल के टुकड़े
तेरे प्यार की निशानी कैसे मैं भूलूंगा तेरे सितम

अब तेरे बिन -2