कभी कभी kabhi kabhi

कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है

कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छाँव हैं मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है


कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है


कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
सुहाग रात है घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है तू शरमा के मेरी बाहों में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
मैं हर इक पल का शायर हूँ हर इक पल मेरी कहानी है
हर इक पल मेरी हस्ती है हर इक पल मेरी जवानी है
मैं हर इक पल का शायर हूँ

रिश्तों का रूप बदलता है, बुनियादें खत्म नहीं होतीं
ख़्वाबों और उमँगों की मियादें खत्म नहीं होतीं
इक फूल में तेरा रूप बसा, इक फूल में मेरी जवानी है
इक चेहरा तेरी निशानी है, इक चेहरा मेरी निशानी है
मैं हर इक पल का शायर हूँ

तुझको मुझको जीवन अम्रित अब इन हाथों से पीना है
इनकी धड़कन में बसना है, इनकी साँसों में जीना है
तू अपनी अदाएं बक्ष इन्हें, मैं अपनी वफ़ाएं देता हूँ
जो अपने लिए सोचीं थी कभी, वो सारी दुआएं देता हूँ
मैं हर इक पल का शायर हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

मुझसे पहले कितने शायर आए और आकर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग़मे गाकर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा था मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ

कल और आएंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले
मुझसे बेहतर कहने वाले तुमसे बेहतर सुनने वाले
कल कोई मुझको याद करे क्यूँ कोई मुझको याद करे
मसरूफ़ ज़माना मेरे लिये क्यूँ वक़्त अपना बरबाद करे
मैं पल दो पल का शायर हूँ